सरकार ने मंगलवार को राज्यसभा में बताया कि ऑनलाइन बैंकिंग (Online Banking) के जरिये डेबिट और क्रेडिट कार्ड (Debit or Credit Card) या इंटरनेट बैंकिंग (Internet Banking) के दौरान धोखाधड़ी के मामले पिछले एक साल में 34 हजार से बढ़कर 52 हजार से अधिक हो गये. हालांकि इस प्रकार की धोखाधड़ी में निहित राशि की मात्रा में कमी आयी है.
वित्त राज्यमंत्री (Minister of State for Finance) अनुराग ठाकुर ने राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान एक पूरक प्रश्न के उत्तर में बताया कि कार्ड क्लोनिंग (Card Cloning) और ऑनलाइन बैंकिंग (Online Banking) के अन्य तरीकों में धोखाधड़ी को रोकने के लिये देश में व्यापक जागरुकता अभियान चलाया जा रहा है.
पूरा पैसा वापस पाने का तरीका
धोखाधड़ी के शिकार हुए पीड़ितों को राहत देने के उपायों के बारे में ठाकुर ने बताया कि धोखाधड़ी की सूचना वारदात के 3 दिन के भीतर संबद्ध बैंक को देने पर पीड़ित पक्षकार को वित्तीय हानि नहीं उठानी पड़ती, बल्कि बैंक उक्त राशि का भुगतान करता है. 3 दिन के बाद बैंक को धोखाधड़ी की सूचना देने पर बैंक आंशिक राशि का भुगतान करता है.
2018-19 में धोखाधड़ी के मामले 52 हजार के पार
न्होंने बताया कि ऑनलाइन बैंकिंग धोखाधड़ी की सूचना देने के लिये सभी बैंकों ने हेल्पलाइन सेवा मुहैया करायी है. इससे जुड़े प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया गया कि वित्तीय वर्ष 2017-18 में ऑनलाइन बैंकिंग की धोखाधड़ी के 34,791 मामले दर्ज किये गये जबकि 2018-19 में यह संख्या 52,304 हो गयी. इन मामलों में धोखाधड़ी की राशि 2017-18 में 168.99 करोड़ रुपये थी जो 2018-19 में घटकर 149.42 करोड़ रुपये हो गयी.