भारतीय रेलवे (Indian Railway) जल्द ही यात्री किराये में बढ़ोतरी कर सकता है. रेलवे बोर्ड को इसके लिए मंज़ूरी मिल चुकी है. इसके लिए रेल अधिकारियों के बीच मंथन शुरू हो चुका है. सूत्रों के मुताबिक रेलवे सबअर्बन ट्रेनों से लेकर मेल/एक्सप्रेस (Mail/Express) के हर क्लास के किराये में बढ़ोतरी करने जा रहा है. यह बढ़ोतरी 5 पैसे प्रति किलोमीटर से लेकर 40 पैसे प्रति किलोमीटर तक हो सकती है. इस तरह से रेलवे के हर क्लास के किराये में 15 से 20 फीसदी तक इजाफा हो जाएगा.
इस बढ़े हुए किराये का ऐलान दिसंबर के अंत तक होने की संभावना है जबकि बढ़ा किराया 1 फरवरी 2020 से लागू हो सकता है. रेलवे ने पिछली बार साल 2014 में उस वक़्त नई सरकार बनने के बाद किराये में करीब 15 फीसदी की बढ़ोतरी की थी. मौजूदा समय में रेलवे में लागत से औसतन 43 फीसदी कम किराया वसूला जाता है.
रेलवे को इतना उठाना पड़ा है नुकसान
अगर अलग-अलग क्लास की बात करें तो रेलवे को सब अर्बन ट्रेनों के किराये पर क़रीब 64 फ़ीसदी का नुकसान उठाना पड़ता है. जबकि नॉन सब अर्बन ट्रेन के सवारी डिब्बों पर 40 फ़ीसदी का नुकसान होता है. वहीं एसी 1 पर क़रीब 24 फीसदी का नुकसान, एसी 2 पर क़रीब 27 फीसदी नुकसान, स्लीपर क्लास से क़रीब 34 फीसदी का नुकसान और चेयर कार से क़रीब 16 फीसदी का नुकसान होता है.
एसी 3 क्लास में होता है फायदा
रेलवे को केवल एसी 3 क्लास की सवारियों को ढोने में फायदा होता है जो कि क़रीब 7 फीसदी है. इसी हफ़्ते सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में रेलवे के आर्थिक हालात पर चिंता जताई थी.
रेलवे का नेट रेवेन्यू सरप्लस 66 फ़ीसदी तक घटाइस रिपोर्ट में कहा गया है कि रेलवे का नेट रेवेन्यू सरप्लस 66 फ़ीसदी तक कम हो गया है. यह साल 2016-17 में 4913 करोड़ रुपये जबकि साल 2017-18 में घटकर 1665.61 करोड़ रुपये के करीब हो गया. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि रेलवे की अपनी कमाई भी 3 फ़ीसदी कम हो गई जिसकी वजह से ग्रॉस बजटरी सपोर्ट पर इसकी निर्भरता बढ़ गई. सीएजी के मुताबिक रेलवे का ऑपरेटिंग रेशियो 98.44 हो गया. यानी 100 रुपये कमाने के लिए उसे 98 रुपये से ज़्यादा रकम खर्च करनी पड़ती है. यानी सीएजी रिपोर्ट भी रेलवे के किराये में बढ़ोतरी की ज़रूरत पर जोर दे रहा है.